भगवान सुनेंगे कुछ ऐसे पुकारो
Posted: Sun Apr 03, 2011 3:04 pm
ईश्वर को पुकारने के लिए शोर से अधिक मौन की आवश्यकता है। ईश्वर को पुकारोगे तो वह निश्चित ही आएगा। दरवाजा खटखटाएंगे वह खोल देगा। विश्वास रखो, ईश्वर हर क्रिया की प्रतिक्रिया जरूर करता है। वह किसी भी भक्त के मामले में लापरवाह और उदासीन बिल्कुल नहीं है। उसे बुलाने के लिए बस मन से पुकारना पड़ता है। उस के सामने स्वयं को जितना शक्तीहीन समझेंगे, आध्यात्मिक दुनिया में उतने ही शक्तिशाली बन जाएंगे। प्रार्थना करते समय यदि आंसू आ जाएं तो समझ लीजिए प्रार्थना शक्तिशाली हो गई।
तीन दरवाजे होते हैं जहां से ऊर्जा प्रवेश करती है - मन, वचन और शरीर। मन चूंकि विभक्त होता रहता है इसलिए वह शक्ति को भी विभक्त कर देता है। व्यर्थ की बातचीत वचन को शक्तिहीन कर देती है। स्वास्थ्य के मामले में उदासीन होकर अपनी शारीरिक शक्ति को खो देते हैं। लेकिन यदि इन तीनों को बैलेंस करें और फिर परमात्मा को पुकारें तो परिणाम मिलेगा । अधिकतर लोग ईश्वर तक कैसे पहुंचे इसमें उलझ जाते हैं और जीवन बीत जाता है।
सीधा सा तरीका है उसके सामने पहुंच जाओ और जैसे हम हैं वैसे ही रहें।
अगर कोई भिखारी हमारे सामने आकर खड़ा हो जाए और वह कुछ न कहे तो भी हम समझ जाएंगे ये क्यों खड़ा है? बस ऐसे ही परमात्मा के सामने खड़े हो जाएं, और सब कुछ उस पर छोड़ दें, वो अपने आप ही हम जो कुछ चाहते हैं समझ जाएगा। और हमें जो मिलना चाहिए दे देगा। अब प्रश्न यह है की खडा कैसे हों, ईश्वर कहाँ मिलेगा । कहीं भी, वैसे तो वो सर्वव्यापी है लेकिन अगर कोई नहीं मानता है तो पुकारने पर वो चला आएगा, कहीं से भी पुकारो बस आत्मिक मौन हो ध्यान हो श्रद्धा हो प्रेम हो ....
तीन दरवाजे होते हैं जहां से ऊर्जा प्रवेश करती है - मन, वचन और शरीर। मन चूंकि विभक्त होता रहता है इसलिए वह शक्ति को भी विभक्त कर देता है। व्यर्थ की बातचीत वचन को शक्तिहीन कर देती है। स्वास्थ्य के मामले में उदासीन होकर अपनी शारीरिक शक्ति को खो देते हैं। लेकिन यदि इन तीनों को बैलेंस करें और फिर परमात्मा को पुकारें तो परिणाम मिलेगा । अधिकतर लोग ईश्वर तक कैसे पहुंचे इसमें उलझ जाते हैं और जीवन बीत जाता है।
सीधा सा तरीका है उसके सामने पहुंच जाओ और जैसे हम हैं वैसे ही रहें।
अगर कोई भिखारी हमारे सामने आकर खड़ा हो जाए और वह कुछ न कहे तो भी हम समझ जाएंगे ये क्यों खड़ा है? बस ऐसे ही परमात्मा के सामने खड़े हो जाएं, और सब कुछ उस पर छोड़ दें, वो अपने आप ही हम जो कुछ चाहते हैं समझ जाएगा। और हमें जो मिलना चाहिए दे देगा। अब प्रश्न यह है की खडा कैसे हों, ईश्वर कहाँ मिलेगा । कहीं भी, वैसे तो वो सर्वव्यापी है लेकिन अगर कोई नहीं मानता है तो पुकारने पर वो चला आएगा, कहीं से भी पुकारो बस आत्मिक मौन हो ध्यान हो श्रद्धा हो प्रेम हो ....